जज़्बात तन्हाई के

दर्द भरी आवाज़ कोई हो गीत मेरे वो गाये 
पत्थर दिल इन्सान को भी  वो पल में आंसू लाये 

बिगड़े रिश्ते बिछड़े साथी
खोए राहें  भूली मंज़िल 
भिक्रे ख्वाब अरमान अधूरे 
बाकी रख्खा क्या है, हम क्या बताये               
दर्द भरी आवाज़ कोई हो गीत मेरे वो गाये 

धम घुटता जाए घर में 
दफ़्तर में लगे की जंग लड़े 
खुद से भी नाराज़ है हम 
दूसरों का बात क्या, हम क्या बताये              
दर्द भरी आवाज़ कोई हो गीत मेरे वो गाये 


आंसू निकलते नहीं अब कोई 
दिल भी मुश्किल से धड़कता है 
जज़्बात दुःख और नसीब में अब 
तन्हाई लिखा है, हम क्या बताये                   
दर्द भरी आवाज़ कोई हो गीत मेरे वो गाये 

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